Summary
Likewise, of the modes of singing [of the hymns], I am the Brhatsaman; of the metres, I am the Gayatri; of the months, I am the Margasirsa; of the seasons, I am the season abounding with flowers.
पदच्छेदः
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बृहत्साम | बृहत्सामन् (१.१) |
तथा | तथा (अव्ययः) |
साम्नां | सामन् (६.३) |
गायत्री | गायत्री (१.१) |
छन्दसामहम् | छन्दस् (६.३)–मद् (१.१) |
मासानां | मास (६.३) |
मार्गशीर्षो | मार्गशीर्ष (१.१) |
ऽहम् | मद् (१.१) |
ऋतूनां | ऋतु (६.३) |
कुसुमाकरः | कुसुमाकर (१.१) |
छन्दः
अनुष्टुप् [८]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ |
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बृ | ह | त्सा | म | त | था | सा | म्नां |
गा | य | त्री | छ | न्द | सा | म | हम् |
मा | सा | नां | मा | र्ग | शी | र्षो | ऽह |
मृ | तू | नां | कु | सु | मा | क | रः |