Summary
Of the Vrsnis (the members of the Vrsni clan), I am the son of Vasudeva; of the sons of Pandu, Dhananjaya (Arjuna) [I am]; of the sages too, I am Vyasa; of the seers, the seer Usanas.
पदच्छेदः
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वृष्णीनां | वृष्णि (६.३) |
वासुदेवो | वासुदेव (१.१) |
ऽस्मि | अस्मि (√अस् लट् उ.पु. ) |
पाण्डवानां | पाण्डव (६.३) |
धनंजयः | धनंजय (१.१) |
मुनीनामप्यहं | मुनि (६.३)–अपि (अव्ययः)–मद् (१.१) |
व्यासः | व्यास (१.१) |
कवीनामुशना | कवि (६.३)–उशनस् (१.१) |
कविः | कवि (१.१) |
छन्दः
अनुष्टुप् [८]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ |
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वृ | ष्णी | नां | वा | सु | दे | वो | ऽस्मि |
पा | ण्ड | वा | नां | ध | नं | ज | यः |
मु | नी | ना | म | प्य | हं | व्या | सः |
क | वी | ना | मु | श | ना | क | विः |