Summary
O scorcher of foes ! There is no end to My extraordinary manifesting Power. The above details of [My] manifesting power have been declared by Me only by way of examples.
पदच्छेदः
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नान्तो | न (अव्ययः)–अन्त (१.१) |
ऽस्ति | अस्ति (√अस् लट् प्र.पु. एक.) |
मम | मद् (६.१) |
दिव्यानां | दिव्य (६.३) |
विभूतीनां | विभूति (६.३) |
परंतप | परंतप (८.१) |
एष | एतद् (१.१) |
तूद्देशतः | तु (अव्ययः)–उद्देश (५.१) |
प्रोक्तो | प्रोक्त (√प्र-वच् + क्त, १.१) |
विभूतेर्विस्तरो | विभूति (६.१)–विस्तर (१.१) |
मया | मद् (३.१) |
छन्दः
अनुष्टुप् [८]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ |
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ना | न्तो | ऽस्ति | म | म | दि | व्या | नां |
वि | भू | ती | नां | प | रं | त | प |
ए | ष | तू | द्दे | श | तः | प्रो | क्तो |
वि | भू | ते | र्वि | स्त | रो | म | या |