Summary
The ancient Seven Great-Seers and also the Four Manus, of whom these creatures in this world are offsprings-they have been born as My mental dispositions.
पदच्छेदः
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महर्षयः | महत्–ऋषि (१.३) |
सप्त | सप्तन् (१.३) |
पूर्वे | पूर्व (१.३) |
चत्वारो | चतुर् (१.३) |
मनवस्तथा | मनु (१.३)–तथा (अव्ययः) |
मद्भावा | मद्–भाव (१.३) |
मानसा | मानस (१.३) |
जाता | जात (√जन् + क्त, १.३) |
येषां | यद् (६.३) |
लोक | लोक (७.१) |
इमाः | इदम् (१.३) |
प्रजाः | प्रजा (१.३) |
छन्दः
अनुष्टुप् [८]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ |
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म | ह | र्ष | यः | स | प्त | पू | र्वे |
च | त्वा | रो | म | न | व | स्त | था |
म | द्भा | वा | मा | न | सा | जा | ता |
ये | षां | लो | क | इ | माः | प्र | जाः |