Summary
He, who knows correctly this extensively manifesting power and the Yogic power of Mine-he is endowed with the unwavering Yoga. There is no doubt about it.
पदच्छेदः
Click to Toggle
एतां | एतद् (२.१) |
विभूतिं | विभूति (२.१) |
योगं | योग (२.१) |
च | च (अव्ययः) |
मम | मद् (६.१) |
यो | यद् (१.१) |
वेत्ति | वेत्ति (√विद् लट् प्र.पु. एक.) |
तत्त्वतः | तत्त्व (५.१) |
सो | तद् (१.१) |
ऽविकम्पेन | अविकम्प (३.१) |
योगेन | योग (३.१) |
युज्यते | युज्यते (√युज् प्र.पु. एक.) |
नात्र | न (अव्ययः)–अत्र (अव्ययः) |
संशयः | संशय (१.१) |
छन्दः
अनुष्टुप् [८]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ |
---|
ए | तां | वि | भू | तिं | यो | गं | च |
म | म | यो | वे | त्ति | त | त्त्व | तः |
सो | ऽवि | क | म्पे | न | यो | गे | न |
यु | ज्य | ते | ना | त्र | सं | श | यः |