Summary
At that time the son of Pandu beheld there in the body of the God-of-gods, the entire universe, united in one and [yet] divided into many groups.
पदच्छेदः
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इहैकस्थं | इह (अव्ययः)–एकस्थ (२.१) |
जगत्कृत्स्नं | जगन्त् (२.१)–कृत्स्न (२.१) |
पश्याद्य | पश्य (√पश् लोट् म.पु. )–अद्य (अव्ययः) |
सचराचरम् | सचराचर (२.१) |
अपश्यद्देवदेवस्य | अपश्यत् (√पश् लङ् प्र.पु. एक.)–देवदेव (६.१) |
शरीरे | शरीर (७.१) |
पाण्डवस्तदा | पाण्डव (१.१)–तदा (अव्ययः) |
छन्दः
अनुष्टुप् [८]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ |
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त | त्रै | क | स्थं | ज | ग | त्कृ | त्स्नं |
प्र | वि | भ | क्त | म | ने | क | धा |
अ | प | श्य | द्दे | व | दे | व | स्य |
श | री | रे | पा | ण्ड | व | स्त | दा |