Summary
Arjuna said O God ! In Your body I behold all gods and also hosts of different kinds of beings-the Lord Brahma seated on the lotus-seat; and all the seers and all the glowing serpents.
पदच्छेदः
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पश्यामि | पश्यामि (√दृश् लट् उ.पु. ) |
देवांस्तव | देव (२.३)–त्वद् (६.१) |
देव | देव (८.१) |
देहे | देह (७.१) |
सर्वांस्तथा | सर्व (२.३)–तथा (अव्ययः) |
भूतविशेषसंघान् | भूत–विशेष–संघ (२.३) |
ब्रह्माणमीशं | ब्रह्मन् (२.१)–ईश (२.१) |
कमलासनस्थमृषींश्च | कमलासनस्थ (२.१)–ऋषि (२.३)–च (अव्ययः) |
सर्वानुरगांश्च | सर्व (२.३)–उरग (२.३)–च (अव्ययः) |
दिव्यान् | दिव्य (२.३) |
छन्दः
उपजातिः [११]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ | ९ | १० | ११ |
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प | श्या | मि | दे | वां | स्त | व | दे | व | दे | हे |
स | र्वां | स्त | था | भू | त | वि | शे | ष | सं | घान् |
ब्र | ह्मा | ण | मी | शं | क | म | ला | स | न | स्थ |
मृ | षीं | श्च | स | र्वा | नु | र | गां | श्च | दि | व्यान् |