Summary
As I observe You [with form] touching the sky; blazing; having many colours, mouths wide open, eyes blazing and large; I am terrified in my inner soul (mind); and I do not get courage and peace, O Visnu !
पदच्छेदः
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नभःस्पृशं | नभस्–स्पृश् (२.१) |
दीप्तमनेकवर्णं | दीप्त (√दीप् + क्त, २.१)–अनेक–वर्ण (२.१) |
व्यात्ताननं | व्यात्त–आनन (२.१) |
दीप्तविशालनेत्रम् | दीप्त (√दीप् + क्त)–विशाल–नेत्र (२.१) |
दृष्ट्वा | दृष्ट्वा (√दृश् + क्त्वा) |
हि | हि (अव्ययः) |
त्वां | त्वद् (२.१) |
प्रव्यथितान्तरात्मा | प्रव्यथित (√प्र-व्यथ् + क्त)–अन्तरात्मन् (१.१) |
धृतिं | धृति (२.१) |
न | न (अव्ययः) |
विन्दामि | विन्दामि (√विद् लट् उ.पु. ) |
शमं | शम (२.१) |
च | च (अव्ययः) |
विष्णो | विष्णु (८.१) |
छन्दः
उपजातिः [११]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ | ९ | १० | ११ |
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न | भः | स्पृ | शं | दी | प्त | म | ने | क | व | र्णं |
व्या | त्ता | न | नं | दी | प्त | वि | शा | ल | ने | त्रम् |
दृ | ष्ट्वा | हि | त्वां | प्र | व्य | थि | ता | न्त | रा | त्मा |
धृ | तिं | न | वि | न्दा | मि | श | मं | च | वि | ष्णो |