Summary
As You describe Yourself as the Supreme Lord [of all], it must be so. [Hence], O Supreme Self, I desire to perceive Your Lordly form.
पदच्छेदः
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एवमेतद्यथात्थ | एवम् (अव्ययः)–एतद् (२.१)–यथा (अव्ययः)–आत्थ (√अह् लिट् म.पु. ) |
त्वमात्मानं | त्वद् (१.१)–आत्मन् (२.१) |
परमेश्वर | परमेश्वर (८.१) |
द्रष्टुमिच्छामि | द्रष्टुम् (√दृश् + तुमुन्)–इच्छामि (√इष् लट् उ.पु. ) |
ते | त्वद् (६.१) |
रूपमैश्वरं | रूप (२.१)–ऐश्वर (२.१) |
पुरुषोत्तम | पुरुषोत्तम (८.१) |
छन्दः
अनुष्टुप् [८]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ |
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ए | व | मे | त | द्य | था | त्थ | त्व |
मा | त्मा | नं | प | र | मे | श्व | र |
द्र | ष्टु | मि | च्छा | मि | ते | रू | प |
मै | श्व | रं | पु | रु | षो | त्त | म |