Summary
O Master ! If you think that it is possible for me to see that form, then, O Lord of the Yogins, please show me Your Immortal Self.
पदच्छेदः
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मन्यसे | मन्यसे (√मन् लट् म.पु. ) |
यदि | यदि (अव्ययः) |
तच्छक्यं | तद् (२.१)–शक्य (२.१) |
मया | मद् (३.१) |
द्रष्टुमिति | द्रष्टुम् (√दृश् + तुमुन्)–इति (अव्ययः) |
प्रभो | प्रभु (८.१) |
योगेश्वर | योग–ईश्वर (८.१) |
ततो | ततस् (अव्ययः) |
मे | मद् (६.१) |
त्वं | त्वद् (१.१) |
दर्शयात्मानमव्ययम् | दर्शय (√दर्शय् लोट् म.पु. )–आत्मन् (२.१)–अव्यय (२.१) |
छन्दः
अनुष्टुप् [८]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ |
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म | न्य | से | य | दि | त | च्छ | क्यं |
म | या | द्र | ष्टु | मि | ति | प्र | भो |
यो | गे | श्व | र | त | तो | मे | त्वं |
द | र्श | या | त्मा | न | म | व्य | यम् |