Summary
Please, tell me who You are with a terrible form; O the Best of gods ! Salutation to You, please be merciful. I am desirious of knowing You, the Primal One in detail; for I do not clearly comprehend Your behaviour.
पदच्छेदः
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आख्याहि | आख्याहि (√आ-ख्या लोट् म.पु. ) |
मे | मद् (४.१) |
को | क (१.१) |
भवानुग्ररूपो | भवत् (१.१)–उग्र–रूप (१.१) |
नमो | नमस् (१.१) |
ऽस्तु | अस्तु (√अस् लोट् प्र.पु. एक.) |
ते | त्वद् (४.१) |
देववर | देव–वर (८.१) |
प्रसीद | प्रसीद (√प्र-सद् लोट् म.पु. ) |
विज्ञातुमिच्छामि | विज्ञातुम् (√वि-ज्ञा + तुमुन्)–इच्छामि (√इष् लट् उ.पु. ) |
भवन्तमाद्यं | भवत् (२.१)–आद्य (२.१) |
न | न (अव्ययः) |
हि | हि (अव्ययः) |
प्रजानामि | प्रजानामि (√प्र-ज्ञा लट् उ.पु. ) |
तव | त्वद् (६.१) |
प्रवृत्तिम् | प्रवृत्ति (२.१) |
छन्दः
उपजातिः [११]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ | ९ | १० | ११ |
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आ | ख्या | हि | मे | को | भ | वा | नु | ग्र | रू | पो |
न | मो | ऽस्तु | ते | दे | व | व | र | प्र | सी | द |
वि | ज्ञा | तु | मि | च्छा | मि | भ | व | न्त | मा | द्यं |
न | हि | प्र | जा | ना | मि | त | व | प्र | वृ | त्तिम् |