Summary
O Mighty One ! Why should they not bow down to You, the Primal Creater, Who are greater than even Brahma (personal god) ? O Endless One, O Lord of gods, O Abode of the universe ! You are unalterable, existent, non-existent and also that which is beyond both.
पदच्छेदः
Click to Toggle
कस्माच्च | कस्मात् (अव्ययः)–च (अव्ययः) |
ते | त्वद् (४.१) |
न | न (अव्ययः) |
नमेरन्महात्मन्गरीयसे | नमेरन् (√नम् विधिलिङ् प्र.पु. बहु.)–महात्मन् (८.१)–गरीयस् (४.१) |
ब्रह्मणो | ब्रह्मन् (५.१) |
ऽप्यादिकर्त्रे | अपि (अव्ययः)–आदिकर्तृ (४.१) |
अनन्त | अनन्त (८.१) |
देवेश | देवेश (८.१) |
जगन्निवास | जगन्निवास (८.१) |
त्वमक्षरं | त्वद् (१.१)–अक्षर (१.१) |
सदसत्तत्परं | सत् (√अस् + शतृ, १.१)–असत् (१.१)–तत्पर (१.१) |
यत् | यद् (१.१) |
छन्दः
उपजातिः [११]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ | ९ | १० | ११ |
---|
क | स्मा | च्च | ते | न | न | मे | र | न्म | हा | त्म |
न्ग | री | य | से | ब्र | ह्म | णो | ऽप्या | दि | क | र्त्रे |
अ | न | न्त | दे | वे | श | ज | ग | न्नि | वा | स |
त्व | म | क्ष | रं | स | द | स | त्त | त्प | रं | यत् |