Summary
Hence, paying homage, and prostrating may body, I solicit grace of You, the Lord praisworthy. O God ! Be pleased to bear with me, just as a beloved father with his beloved son and just as a dear friend with his dear friend.
पदच्छेदः
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तस्मात्प्रणम्य | तस्मात् (अव्ययः)–प्रणम्य (√प्र-नम् + ल्यप्) |
प्रणिधाय | प्रणिधाय (√प्रणि-धा + ल्यप्) |
कायं | काय (२.१) |
प्रसादये | प्रसादये (√प्र-सादय् लट् उ.पु. ) |
त्वामहमीशमीड्यम् | त्वद् (२.१)–मद् (१.१)–ईश (२.१)–ईड्य (√ईड् + कृत्, २.१) |
पितेव | पितृ (१.१)–इव (अव्ययः) |
पुत्रस्य | पुत्र (६.१) |
सखेव | सखि (१.१)–इव (अव्ययः) |
सख्युः | सखि (६.१) |
प्रियः | प्रिय (१.१) |
प्रियायार्हसि | प्रिय (४.१)–अर्हसि (√अर्ह् लट् म.पु. ) |
देव | देव (८.१) |
सोढुम् | सोढुम् (√सह् + तुमुन्) |
छन्दः
उपजातिः [११]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ | ९ | १० | ११ |
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त | स्मा | त्प्र | ण | म्य | प्र | णि | धा | य | का | यं |
प्र | सा | द | ये | त्वा | म | ह | मी | श | मी | ड्यम् |
पि | ते | व | पु | त्र | स्य | स | खे | व | स | ख्युः |
प्रि | यः | प्रि | या | या | र्ह | सि | दे | व | सो | ढुम् |