Summary
I desire to see You in the same manner, wearing crown, holding the club and the discuss in hand; please be with the same form having four hands, O Thousand-armed One ! O Universal Form !
पदच्छेदः
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किरीटिनं | किरीटिन् (२.१) |
गदिनं | गदिन् (२.१) |
चक्रहस्तमिच्छामि | चक्र–हस्त (२.१)–इच्छामि (√इष् लट् उ.पु. ) |
त्वां | त्वद् (२.१) |
द्रष्टुमहं | द्रष्टुम् (√दृश् + तुमुन्)–मद् (१.१) |
तथैव | तथा (अव्ययः)–एव (अव्ययः) |
तेनैव | तद् (३.१)–एव (अव्ययः) |
रूपेण | रूप (३.१) |
चतुर्भुजेन | चतुर्–भुज (३.१) |
सहस्रबाहो | सहस्रबाहु (८.१) |
भव | भव (√भू लोट् म.पु. ) |
विश्वमूर्ते | विश्वमूर्ति (८.१) |
छन्दः
उपजातिः [११]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ | ९ | १० | ११ |
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कि | री | टि | नं | ग | दि | नं | च | क्र | ह | स्त |
मि | च्छा | मि | त्वां | द्र | ष्टु | म | हं | त | थै | व |
ते | नै | व | रू | पे | ण | च | तु | र्भु | जे | न |
स | ह | स्र | बा | हो | भ | व | वि | श्व | मू | र्ते |