Summary
But, you cannot see Me simply with this eye of yours [Hence], I give you the divine eye. [Now] behold the Lordly form of Mine.
पदच्छेदः
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न | न (अव्ययः) |
तु | तु (अव्ययः) |
मां | मद् (२.१) |
शक्यसे | शक्यसे (√शक् म.पु. ) |
द्रष्टुमनेनैव | द्रष्टुम् (√दृश् + तुमुन्)–इदम् (३.१)–एव (अव्ययः) |
स्वचक्षुषा | स्व–चक्षुस् (३.१) |
न | न (अव्ययः) |
च | च (अव्ययः) |
मत्स्थानि | मद्–स्थ (१.३) |
भूतानि | भूत (१.३) |
पश्य | पश्य (√पश् लोट् म.पु. ) |
मे | मद् (६.१) |
योगमैश्वरम् | योग (२.१)–ऐश्वर (२.१) |
छन्दः
अनुष्टुप् [८]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ |
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न | तु | मां | श | क्य | से | द्र | ष्टु |
म | ने | नै | व | स्व | च | क्षु | षा |
दि | व्यं | द | दा | मि | ते | च | क्षुः |
प | श्य | मे | यो | ग | मै | श्व | रम् |