Summary
Sanjaya said O king ! Having thus stated, Hari (Krsna), the mighty Lord of the Yogins, showed to the son of Prtha [His own] Supreme Lordly form;
पदच्छेदः
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एवमुक्त्वा | एवम् (अव्ययः)–उक्त्वा (√वच् + क्त्वा) |
ततो | ततस् (अव्ययः) |
राजन्महायोगेश्वरो | राजन् (८.१)–महत्–योग–ईश्वर (१.१) |
हरिः | हरि (१.१) |
दर्शयामास | दर्शयामास (√दर्शय् प्र.पु. एक.) |
पार्थाय | पार्थ (४.१) |
परमं | परम (२.१) |
रूपमैश्वरम् | रूप (२.१)–ऐश्वर (२.१) |
छन्दः
अनुष्टुप् [८]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ |
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ए | व | मु | क्त्वा | त | तो | रा | ज |
न्म | हा | यो | गे | श्व | रो | ह | रिः |
द | र्श | या | मा | स | पा | र्था | य |
प | र | मं | रू | प | मै | श्व | रम् |