Summary
If you are incapable of doing a [steady] practice, then have, your chief aim, of performing actions for Me. Even by performing actions for Me, You shall attain success.
पदच्छेदः
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अभ्यासे | अभ्यास (७.१) |
ऽप्यसमर्थो | अपि (अव्ययः)–असमर्थ (१.१) |
ऽसि | असि (√अस् लट् म.पु. ) |
मत्कर्मपरमो | मद्–कर्मन्–परम (१.१) |
भव | भव (√भू लोट् म.पु. ) |
मदर्थमपि | मद्–अर्थ (२.१)–अपि (अव्ययः) |
कर्माणि | कर्मन् (२.३) |
कुर्वन्सिद्धिमवाप्स्यसि | कुर्वत् (√कृ + शतृ, १.१)–सिद्धि (२.१)–अवाप्स्यसि (√अव-आप् लृट् म.पु. ) |
छन्दः
अनुष्टुप् [८]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ |
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अ | भ्या | से | ऽप्य | स | म | र्थो | ऽसि |
म | त्क | र्म | प | र | मो | भ | व |
म | द | र्थ | म | पि | क | र्मा | णि |
कु | र्व | न्सि | द्धि | म | वा | प्स्य | सि |