Summary
Now, if you are not capable of doing this too, then taking resort to My Yoga renounce the fruit of all action, with your self (mind) subdued.
पदच्छेदः
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अथैतदप्यशक्तो | अथ (अव्ययः)–एतद् (२.१)–अपि (अव्ययः)–अशक्त (१.१) |
ऽसि | असि (√अस् लट् म.पु. ) |
कर्तुं | कर्तुम् (√कृ + तुमुन्) |
मद्योगमाश्रितः | मद्–योग (२.१)–आश्रित (√आ-श्रि + क्त, १.१) |
सर्वकर्मफलत्यागं | सर्व–कर्मन्–फल–त्याग (२.१) |
ततः | ततस् (अव्ययः) |
कुरु | कुरु (√कृ लोट् म.पु. ) |
यतात्मवान् | यत (√यम् + क्त)–आत्मवत् (१.१) |
छन्दः
अनुष्टुप् [८]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ |
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अ | थै | त | द | प्य | श | क्तो | ऽसि |
क | र्तुं | म | द्यो | ग | मा | श्रि | तः |
स | र्व | क | र्म | फ | ल | त्या | गं |
त | तः | कु | रु | य | ता | त्म | वान् |