Summary
He, who is not a hater, [but] only a compassionate friend of every being; who is free from the sense of 'mine, and the sense of 'I'; who is even minded in pain and pleasure and is endowed with forbearance;
पदच्छेदः
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अद्वेष्टा | अ (अव्ययः)–द्वेष्टृ (१.१) |
सर्वभूतानां | सर्व–भूत (६.३) |
मैत्रः | मैत्र (१.१) |
करुण | करुण (१.१) |
एव | एव (अव्ययः) |
च | च (अव्ययः) |
निर्ममो | निर्मम (१.१) |
निरहंकारः | निरहंकार (१.१) |
स | तद् (१.१) |
शान्तिमधिगच्छति | शान्ति (२.१)–अधिगच्छति (√अधि-गम् लट् प्र.पु. एक.) |
छन्दः
अनुष्टुप् [८]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ |
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अ | द्वे | ष्टा | स | र्व | भू | ता | नां |
मै | त्रः | क | रु | ण | ए | व | च |
नि | र्म | मो | नि | र | हं | का | रः |
स | म | दुः | ख | सु | खः | क्ष | मी |