Summary
The Bhagavat said O son of Kunti ! This [physical] hody is called 'Field' [and decayer-cum-protector]; He, who sensitiezes it - His knowers call Him properly as 'Field-sensitizer'.
पदच्छेदः
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इदं | इदम् (१.१) |
शरीरं | शरीर (१.१) |
कौन्तेय | कौन्तेय (८.१) |
क्षेत्रमित्यभिधीयते | क्षेत्र (१.१)–इति (अव्ययः)–अभिधीयते (√अभि-धा प्र.पु. एक.) |
एतद्यो | एतद् (२.१)–यद् (१.१) |
वेत्ति | वेत्ति (√विद् लट् प्र.पु. एक.) |
तं | तद् (२.१) |
प्राहुः | प्राहुः (√प्र-अह् लिट् प्र.पु. बहु.) |
क्षेत्रज्ञ | क्षेत्रज्ञ (१.१) |
इति | इति (अव्ययः) |
तद्विदः | तद्–विद् (१.३) |
छन्दः
अनुष्टुप् [८]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ |
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इ | दं | श | री | रं | कौ | न्ते | य |
क्षे | त्र | मि | त्य | भि | धी | य | ते |
ए | त | द्यो | वे | त्ति | तं | प्रा | हुः |
क्षे | त्र | ज्ञ | इ | ति | त | द्वि | दः |