मयि | मद् (७.१) |
चानन्ययोगेन | च (अव्ययः)–अन् (अव्ययः)–अन्य–योग (३.१) |
भक्तिरव्यभिचारिणी | भक्ति (१.१)–अव्यभिचारिन् (१.१) |
विविक्तदेशसेवित्वमरतिर्जनसंसदि | विविक्त–देश–सेविन्–त्व (१.१)–अरति (१.१)–जन–संसद् (७.१) |
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म | यि | चा | न | न्य | यो | गे | न |
भ | क्ति | र | व्य | भि | चा | रि | णी |
वि | वि | क्त | दे | श | से | वि | त्व |
म | र | ति | र्ज | न | सं | स | दि |