Summary
Whatever living being is born, stationary or moving, you should know that all this has a close connection with the Field and the Field-sensitizer, O the best of the Bharatas !
पदच्छेदः
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यावत्संजायते | यावत् (अव्ययः)–संजायते (√सम्-जन् लट् प्र.पु. एक.) |
किंचित्सत्त्वं | कश्चित् (१.१)–सत्त्व (१.१) |
स्थावरजङ्गमम् | स्थावर–जङ्गम (१.१) |
क्षेत्रक्षेत्रज्ञयोर्ज्ञानं | क्षेत्र–क्षेत्रज्ञ (६.२)–ज्ञान (१.१) |
यत्तज्ज्ञानं | यद् (१.१)–तद् (१.१)–ज्ञान (१.१) |
मतं | मत (√मन् + क्त, १.१) |
मम | मद् (६.१) |
छन्दः
अनुष्टुप् [८]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ |
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या | व | त्सं | जा | य | ते | किं | चि |
त्स | त्त्वं | स्था | व | र | ज | ङ्ग | मम् |
क्षे | त्र | क्षे | त्र | ज्ञ | सं | यो | गा |
त्त | द्वि | द्धि | भ | र | त | र्ष | भ |