Summary
Whosoever views all actions as being performed (or all objects as being created), indeed by the Material Cause itself and at the same time views his own Self as non-performer (or non-creator) - he veiws properly.
पदच्छेदः
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प्रकृतेः | प्रकृति (६.१) |
क्रियमाणानि | क्रियमाण (√कृ + शानच्, २.३) |
गुणैः | गुण (३.३) |
कर्माणि | कर्मन् (२.३) |
सर्वशः | सर्वशस् (अव्ययः) |
यः | यद् (१.१) |
पश्यति | पश्यति (√दृश् लट् प्र.पु. एक.) |
तथात्मानमकर्तारं | तथा (अव्ययः)–आत्मन् (२.१)–अकर्तृ (२.१) |
स | तद् (१.१) |
पश्यति | पश्यति (√दृश् लट् प्र.पु. एक.) |
छन्दः
अनुष्टुप् [८]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ |
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प्र | कृ | त्यै | व | च | क | र्मा | णि |
क्रि | य | मा | णा | नि | स | र्व | शः |
यः | प | श्य | ति | त | था | त्मा | न |
म | क | र्ता | रं | स | प | श्य | ति |