Summary
O descendant of Bharata ! The Sattva increases by overpowering the Rajas and the Tamas; the Rajas [increases by overpowering] the Sattva and the Tamas; and the Tamas does likewise [by overpowering] the Sattva and the Rajas.
पदच्छेदः
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रजस्तमश्चाभिभूय | रजस् (२.१)–तमस् (२.१)–च (अव्ययः)–अभिभूय (√अभि-भू + ल्यप्) |
सत्त्वं | सत्त्व (१.१) |
भवति | भवति (√भू लट् प्र.पु. एक.) |
भारत | भारत (८.१) |
रजः | रजस् (२.१) |
सत्त्वं | सत्त्व (२.१) |
तमश्चैव | तमस् (१.१)–च (अव्ययः)–एव (अव्ययः) |
तमः | तमस् (२.१) |
सत्त्वं | सत्त्व (२.१) |
रजस्तथा | रजस् (१.१)–तथा (अव्ययः) |
छन्दः
अनुष्टुप् [८]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ |
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र | ज | स्त | म | श्चा | भि | भू | य |
स | त्त्वं | भ | व | ति | भा | र | त |
र | जः | स | त्त्वं | त | म | श्चै | व |
त | मः | स | त्त्वं | र | ज | स्त | था |