Summary
O descendant of Bharata ! The Sattva fully dominates [the Embodied] in the field of happiness; the Rajas in action; but the Tamas also totally dominates in the field of negligence, by veiling knowledge.
पदच्छेदः
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सत्त्वं | सत्त्व (१.१) |
सुखे | सुख (७.१) |
सञ्जयति | सञ्जयति (√सञ्जय् लट् प्र.पु. एक.) |
रजः | रजस् (१.१) |
कर्मणि | कर्मन् (७.१) |
भारत | भारत (८.१) |
ज्ञानमावृत्य | ज्ञान (२.१)–आवृत्य (√आ-वृ + ल्यप्) |
तु | तु (अव्ययः) |
तमः | तमस् (१.१) |
प्रमादे | प्रमाद (७.१) |
सञ्जयत्युत | सञ्जयति (√सञ्जय् लट् प्र.पु. एक.)–उत (अव्ययः) |
छन्दः
अनुष्टुप् [८]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ |
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स | त्त्वं | सु | खे | स | ञ्ज | य | ति |
र | जः | क | र्म | णि | भा | र | त |
ज्ञा | न | मा | वृ | त्य | तु | त | मः |
प्र | मा | दे | स | ञ्ज | य | त्यु | त |