Summary
But, if the body-bearer dies at the time when Sattva is on the increase, then he attains to the spotless worlds of those, who know the Highest.
पदच्छेदः
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यदा | यदा (अव्ययः) |
सत्त्वे | सत्त्व (७.१) |
प्रवृद्धे | प्रवृद्ध (√प्र-वृध् + क्त, ७.१) |
तु | तु (अव्ययः) |
प्रलयं | प्रलय (२.१) |
याति | याति (√या लट् प्र.पु. एक.) |
देहभृत् | देहभृत् (१.१) |
तदोत्तमविदां | तदा (अव्ययः)–उत्तम–विद् (६.३) |
लोकानमलान्प्रतिपद्यते | लोक (२.३)–अमल (२.३)–प्रतिपद्यते (√प्रति-पद् लट् प्र.पु. एक.) |
छन्दः
अनुष्टुप् [८]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ |
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य | दा | स | त्त्वे | प्र | वृ | द्धे | तु |
प्र | ल | यं | या | ति | दे | ह | भृत् |
त | दो | त्त | म | वि | दां | लो | का |
न | म | ला | न्प्र | ति | प | द्य | ते |