Summary
The fruit of good action, they say, is spotless and is of the Sattva; but the fruit of the Rajas is pain, and the fruit of the Tamas is ignorance.
पदच्छेदः
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कर्मणः | कर्मन् (६.१) |
सुकृतस्याहुः | सु (अव्ययः)–कृत (√कृ + क्त, ६.१)–आहुः (√अह् लिट् प्र.पु. बहु.) |
सात्त्विकं | सात्त्विक (२.१) |
निर्मलं | निर्मल (२.१) |
फलम् | फल (२.१) |
रजसस्तु | रजस् (६.१)–तु (अव्ययः) |
फलं | फल (२.१) |
दुःखमज्ञानं | दुःख (२.१)–अज्ञान (२.१) |
तमसः | तमस् (६.१) |
फलम् | फल (२.१) |
छन्दः
अनुष्टुप् [८]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ |
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क | र्म | णः | सु | कृ | त | स्या | हुः |
सा | त्त्वि | कं | नि | र्म | लं | फ | लम् |
र | ज | स | स्तु | फ | लं | दुः | ख |
म | ज्ञा | नं | त | म | सः | फ | लम् |