Summary
From the Sattva arises wisdom; from the Rajas only greed; and from the Tamas arise negligence, delusion and also ignorance.
पदच्छेदः
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सत्त्वात्संजायते | सत्त्व (५.१)–संजायते (√सम्-जन् लट् प्र.पु. एक.) |
ज्ञानं | ज्ञान (१.१) |
रजसो | रजस् (५.१) |
लोभ | लोभ (१.१) |
एव | एव (अव्ययः) |
च | च (अव्ययः) |
प्रमादमोहौ | प्रमाद–मोह (१.२) |
तमसो | तमस् (५.१) |
भवतो | भवतः (√भू लट् प्र.पु. द्वि.) |
ऽज्ञानमेव | अज्ञान (१.१)–एव (अव्ययः) |
च | च (अव्ययः) |
छन्दः
अनुष्टुप् [८]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ |
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स | त्त्वा | त्सं | जा | य | ते | ज्ञा | नं |
र | ज | सो | लो | भ | ए | व | च |
प्र | मा | द | मो | हौ | त | म | सो |
भ | व | तो | ऽज्ञा | न | मे | व | च |