Summary
The Bhagavat said O son of Pandu ! He does niether abhor nor crave for illumination, and exertion, and delusion too, as and when they arise or cease to be.
पदच्छेदः
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अप्रकाशो | अप्रकाश (१.१) |
ऽप्रवृत्तिश्च | अप्रवृत्ति (१.१)–च (अव्ययः) |
प्रमादो | प्रमाद (१.१) |
मोह | मोह (१.१) |
एव | एव (अव्ययः) |
च | च (अव्ययः) |
न | न (अव्ययः) |
द्वेष्टि | द्वेष्टि (√द्विष् लट् प्र.पु. एक.) |
सम्प्रवृत्तानि | सम्प्रवृत्त (√सम्प्र-वृत् + क्त, २.३) |
न | न (अव्ययः) |
निवृत्तानि | निवृत्त (√नि-वृत् + क्त, २.३) |
काङ्क्षति | काङ्क्षति (√काङ्क्ष् लट् प्र.पु. एक.) |
छन्दः
अनुष्टुप् [८]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ |
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प्र | का | शं | च | प्र | वृ | त्तिं | च |
मो | ह | मे | व | च | पा | ण्ड | व |
न | द्वे | ष्टि | सं | प्र | वृ | त्ता | नि |
न | नि | वृ | त्ता | नि | का | ङ्क्ष | ति |