Summary
The Strands, viz. the Sattva, the Rajas and the Tamas, born from the Prime Cause (the said Mother), bind the changeless Embodied (Soul) to the body, O mighty-armed One !
पदच्छेदः
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सत्त्वं | सत्त्व (१.१) |
रजस्तम | रजस् (१.१)–तमस् (१.१) |
इति | इति (अव्ययः) |
गुणाः | गुण (१.३) |
प्रकृतिसंभवाः | प्रकृति–सम्भव (१.३) |
निबध्नन्ति | निबध्नन्ति (√नि-बन्ध् लट् प्र.पु. बहु.) |
महाबाहो | महत्–बाहु (८.१) |
देहे | देह (७.१) |
देहिनमव्ययम् | देहिन् (२.१)–अव्यय (२.१) |
छन्दः
अनुष्टुप् [८]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ |
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स | त्त्वं | र | ज | स्त | म | इ | ति |
गु | णाः | प्र | कृ | ति | सं | भ | वाः |
नि | ब | ध्न | न्ति | म | हा | बा | हो |
दे | हे | दे | हि | न | म | व्य | यम् |