Summary
That light which is found in the sun, which is in the moon, and which is [also] in the fire-all illuminating the entire world-know that light to be of Mine.
पदच्छेदः
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यदादित्यगतं | यद् (१.१)–आदित्य–गत (√गम् + क्त, १.१) |
तेजो | तेजस् (१.१) |
जगद्भासयते | जगन्त् (२.१)–भासयते (√भासय् लट् प्र.पु. एक.) |
ऽखिलम् | अखिल (२.१) |
यच्चन्द्रमसि | यद् (१.१)–चन्द्रमस् (७.१) |
यच्चाग्नौ | यद् (१.१)–च (अव्ययः)–अग्नि (७.१) |
तत्तेजो | तद् (२.१)–तेजस् (२.१) |
विद्धि | विद्धि (√विद् लोट् म.पु. ) |
मामकम् | मामक (२.१) |
छन्दः
अनुष्टुप् [८]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ |
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य | दा | दि | त्य | ग | तं | ते | जो |
ज | ग | द्भा | स | य | ते | ऽखि | लम् |
य | च्च | न्द्र | म | सि | य | च्चा | ग्नौ |
त | त्ते | जो | वि | द्धि | मा | म | कम् |