Summary
And penetrating the earth I support [all] beings with [My] energy; being the sapful moon, I nourish all plants.
पदच्छेदः
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गामाविश्य | गो (२.१)–आविश्य (√आ-विश् + ल्यप्) |
च | च (अव्ययः) |
भूतानि | भूत (२.३) |
धारयाम्यहमोजसा | धारयामि (√धारय् लट् उ.पु. )–मद् (१.१)–ओजस् (३.१) |
पुष्णामि | पुष्णामि (√पुष् लट् उ.पु. ) |
चौषधीः | च (अव्ययः)–ओषधि (२.३) |
सर्वाः | सर्व (२.३) |
सोमो | सोम (१.१) |
भूत्वा | भूत्वा (√भू + क्त्वा) |
रसात्मकः | रस–आत्मक (१.१) |
छन्दः
अनुष्टुप् [८]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ |
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गा | मा | वि | श्य | च | भू | ता | नि |
धा | र | या | म्य | ह | मो | ज | सा |
पु | ष्णा | मि | चौ | ष | धीः | स | र्वाः |
सो | मो | भू | त्वा | र | सा | त्म | कः |