Summary
There are two persons in the world, the perishing and the nonperishing : the perishing is all elements [and] the speak-like One is called the nonperishing.
पदच्छेदः
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द्वाविमौ | द्वि (१.२)–इदम् (१.२) |
पुरुषौ | पुरुष (१.२) |
लोके | लोक (७.१) |
क्षरश्चाक्षर | क्षर (१.१)–च (अव्ययः)–अक्षर (१.१) |
एव | एव (अव्ययः) |
च | च (अव्ययः) |
क्षरः | क्षर (१.१) |
सर्वाणि | सर्व (१.३) |
भूतानि | भूत (१.३) |
कूटस्थो | कूटस्थ (१.१) |
ऽक्षर | अक्षर (१.१) |
उच्यते | उच्यते (√वच् प्र.पु. एक.) |
छन्दः
अनुष्टुप् [८]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ |
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द्वा | वि | मौ | पु | रु | षौ | लो | के |
क्ष | र | श्चा | क्ष | र | ए | व | च |
क्ष | रः | स | र्वा | णि | भू | ता | नि |
कू | ट | स्थो | ऽक्ष | र | उ | च्य | ते |