Summary
Then that Abode must be sought, having reached Which one would not return. [The Yogin] would attain nothing but that Primal Person from Whom the old activity (world creation) commences.
पदच्छेदः
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ततः | ततस् (अव्ययः) |
पदं | पद (१.१) |
तत्परिमार्गितव्यं | तद् (१.१)–परिमार्गितव्य (√परि-मार्ग् + कृत्, १.१) |
यस्मिन्गता | यद् (७.१)–गत (√गम् + क्त, १.३) |
न | न (अव्ययः) |
निवर्तन्ति | निवर्तन्ति (√नि-वृत् लट् प्र.पु. बहु.) |
भूयः | भूयस् (अव्ययः) |
तमेव | तद् (२.१)–एव (अव्ययः) |
चाद्यं | च (अव्ययः)–आद्य (२.१) |
पुरुषं | पुरुष (२.१) |
प्रपद्ये | प्रपद्ये (√प्र-पद् लट् उ.पु. ) |
यतः | यतस् (अव्ययः) |
प्रवृत्तिः | प्रवृत्ति (१.१) |
प्रसृता | प्रसृत (√प्र-सृ + क्त, १.१) |
पुराणी | पुराण (१.१) |
छन्दः
उपजातिः [११]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ | ९ | १० | ११ |
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त | तः | प | दं | त | त्प | रि | मा | र्गि | त | व्यं |
य | स्मि | न्ग | ता | न | नि | व | र्त | न्ति | भू | यः |
त | मे | व | चा | द्यं | पु | रु | षं | प्र | प | द्ये |
य | तः | प्र | वृ | त्तिः | प्र | सृ | ता | पु | रा | णी |