Summary
Ostentation, arrogance, pride, anger, and also harshness, and ignorance, are in the person born for the demoniac wealth, O son of Prtha !
पदच्छेदः
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दम्भो | दम्भ (१.१) |
दर्पो | दर्प (१.१) |
ऽतिमानश्च | अतिमान (१.१)–च (अव्ययः) |
क्रोधः | क्रोध (१.१) |
पारुष्यमेव | पारुष्य (१.१)–एव (अव्ययः) |
च | च (अव्ययः) |
अज्ञानं | अज्ञान (१.१) |
चाभिजातस्य | च (अव्ययः)–अभिजात (√अभि-जन् + क्त, ६.१) |
पार्थ | पार्थ (८.१) |
संपदमासुरीम् | सम्पद् (२.१)–आसुर (२.१) |
छन्दः
अनुष्टुप् [८]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ |
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द | म्भो | द | र्पो | ऽति | मा | न | श्च |
क्रो | धः | पा | रु | ष्य | मे | व | च |
अ | ज्ञा | नं | चा | भि | जा | त | स्य |
पा | र्थ | सं | प | द | मा | सु | रीम् |