Summary
The demoniac men do not know the origin and the withdrawal; neither purity, nor good conduct, nor truth does exist in them.
पदच्छेदः
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प्रवृत्तिं | प्रवृत्ति (२.१) |
च | च (अव्ययः) |
निवृत्तिं | निवृत्ति (२.१) |
च | च (अव्ययः) |
जना | जन (१.३) |
न | न (अव्ययः) |
विदुरासुराः | विदुः (√विद् लिट् प्र.पु. बहु.)–आसुर (१.३) |
न | न (अव्ययः) |
शौचं | शौच (१.१) |
नापि | न (अव्ययः)–अपि (अव्ययः) |
चाचारो | च (अव्ययः)–आचार (१.१) |
न | न (अव्ययः) |
सत्यं | सत्य (१.१) |
तेषु | तद् (७.३) |
विद्यते | विद्यते (√विद् प्र.पु. एक.) |
छन्दः
अनुष्टुप् [८]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ |
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प्र | वृ | त्तिं | च | नि | वृ | त्तिं | च |
ज | ना | न | वि | दु | रा | सु | राः |
न | शौ | चं | ना | पि | चा | चा | रो |
न | स | त्यं | ते | षु | वि | द्य | ते |