Summary
That sacrifice is of the Sattva (Strand), which is offered, as found in the injunction, by men craving for no fruit, by stabilizing their mind with the thought that it is just a thing to be offered.
पदच्छेदः
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अफलाकाङ्क्षिभिर्यज्ञो | अ (अव्ययः)–फल–आकाङ्क्षिन् (३.३)–यज्ञ (१.१) |
विधिदृष्टो | विधि–दृष्ट (√दृश् + क्त, १.१) |
य | यद् (१.१) |
इज्यते | इज्यते (√यज् प्र.पु. एक.) |
यष्टव्यमेवेति | यष्टव्य (√यज् + कृत्, १.१)–एव (अव्ययः)–इति (अव्ययः) |
मनः | मनस् (२.१) |
समाधाय | समाधाय (√समा-धा + ल्यप्) |
स | तद् (१.१) |
सात्त्विकः | सात्त्विक (१.१) |
छन्दः
अनुष्टुप् [८]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ |
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अ | फ | ला | का | ङ्क्षि | भि | र्य | ज्ञो |
वि | धि | दृ | ष्टो | य | इ | ज्य | ते |
य | ष्ट | व्य | मे | वे | ति | म | नः |
स | मा | धा | य | स | सा | त्त्वि | कः |