Summary
The unoffending speech which is true, and which is pleasant and beneficial; and also the practice of regular recitation of the Vedas - all this is said to be an austerity by the speech-sense.
पदच्छेदः
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अनुद्वेगकरं | अन् (अव्ययः)–उद्वेग–कर (१.१) |
वाक्यं | वाक्य (१.१) |
सत्यं | सत्य (१.१) |
प्रियहितं | प्रिय–हित (१.१) |
च | च (अव्ययः) |
यत् | यद् (१.१) |
स्वाध्यायाभ्यसनं | स्वाध्याय–अभ्यसन (१.१) |
चैव | च (अव्ययः)–एव (अव्ययः) |
वाङ्मयं | वाच्–मय (१.१) |
तप | तपस् (१.१) |
उच्यते | उच्यते (√वच् प्र.पु. एक.) |
छन्दः
अनुष्टुप् [८]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ |
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अ | नु | द्वे | ग | क | रं | वा | क्यं |
स | त्यं | प्रि | य | हि | तं | च | यत् |
स्वा | ध्या | या | भ्य | स | नं | चै | व |
वा | ङ्म | यं | त | प | उ | च्य | ते |