Summary
The austerity that is practised for gaining respect, honour and reverence and with sheer showing-that is called here [austerity] of the Rajas and it is unstable and impermanent.
पदच्छेदः
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सत्कारमानपूजार्थं | सत्कार–मान–पूजा–अर्थ (२.१) |
तपो | तपस् (१.१) |
दम्भेन | दम्भ (३.१) |
चैव | च (अव्ययः)–एव (अव्ययः) |
यत् | यद् (१.१) |
क्रियते | क्रियते (√कृ प्र.पु. एक.) |
तदिह | तद् (१.१)–इह (अव्ययः) |
प्रोक्तं | प्रोक्त (√प्र-वच् + क्त, १.१) |
राजसं | राजस (१.१) |
चलमध्रुवम् | चल (१.१)–अध्रुव (१.१) |
छन्दः
अनुष्टुप् [८]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ |
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स | त्का | र | मा | न | पू | जा | र्थं |
त | पो | द | म्भे | न | चै | व | यत् |
क्रि | य | ते | त | दि | ह | प्रो | क्तं |
रा | ज | सं | च | ल | म | ध्रु | वम् |