Summary
With [the utterance of] TAT and without aiming at the fruit, the acts of sacrifice and austerity and the various acts of gifts are performed by those who seek emancipation.
पदच्छेदः
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तस्मादोमित्युदाहृत्य | तस्मात् (अव्ययः)–ॐ (अव्ययः)–इति (अव्ययः)–उदाहृत्य (√उदा-हृ + ल्यप्) |
यज्ञदानतपःक्रियाः | यज्ञ–दान–तपस्–क्रिया (१.३) |
दानक्रियाश्च | दान–क्रिया (१.३)–च (अव्ययः) |
विविधाः | विविध (१.३) |
क्रियन्ते | क्रियन्ते (√कृ प्र.पु. बहु.) |
मोक्षकाङ्क्षिभिः | मोक्ष–काङ्क्षिन् (३.३) |
छन्दः
अनुष्टुप् [८]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ |
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त | दि | त्य | न | भि | सं | धा | य |
फ | लं | य | ज्ञ | त | पः | क्रि | याः |
दा | न | क्रि | या | श्च | वि | वि | धाः |
क्रि | य | न्ते | मो | क्ष | का | ङ्क्षि | भिः |