Summary
In the sense of 'right one' (or 'manifesting as being') and in the sense of 'proper one' (or 'manifesting perfectly'), this word SAT is employed. Likewise the word SAT is used with regard to the praiseworthy act; O son of Prtha !
पदच्छेदः
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सद्भावे | सद्भाव (७.१) |
साधुभावे | साधु–भाव (७.१) |
च | च (अव्ययः) |
सदित्येतत्प्रयुज्यते | सत् (१.१)–इति (अव्ययः)–एतद् (१.१)–प्रयुज्यते (√प्र-युज् प्र.पु. एक.) |
प्रशस्ते | प्रशस्त (√प्र-शंस् + क्त, ७.१) |
कर्मणि | कर्मन् (७.१) |
तथा | तथा (अव्ययः) |
सच्छब्दः | सत्–शब्द (१.१) |
पार्थ | पार्थ (८.१) |
युज्यते | युज्यते (√युज् प्र.पु. एक.) |
छन्दः
अनुष्टुप् [८]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ |
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स | द्भा | वे | सा | धु | भा | वे | च |
स | दि | त्ये | त | त्प्र | यु | ज्य | ते |
प्र | श | स्ते | क | र्म | णि | त | था |
स | च्छ | ब्दः | पा | र्थ | यु | ज्य | ते |