Summary
Those men, who practise terrible austerities, not as enjoined in the scriptures; who are bound to hypocricy and conceit, and are endowed with (i.e. impelled by) the force of passion for the desired objects;
पदच्छेदः
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अशास्त्रविहितं | अ (अव्ययः)–शास्त्र–विहित (√वि-धा + क्त, २.१) |
घोरं | घोर (२.१) |
तप्यन्ते | तप्यन्ते (√तप् प्र.पु. बहु.) |
ये | यद् (१.३) |
तपो | तपस् (२.१) |
जनाः | जन (१.३) |
दम्भाहंकारसंयुक्ताः | दम्भ–अहंकार–संयुक्त (√सम्-युज् + क्त, १.३) |
कामरागबलान्विताः | काम–राग–बल–अन्वित (१.३) |
छन्दः
अनुष्टुप् [८]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ |
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अ | शा | स्त्र | वि | हि | तं | घो | रं |
त | प्य | न्ते | ये | त | पो | ज | नाः |
द | म्भा | हं | का | र | सं | यु | क्ताः |
का | म | रा | ग | ब | ला | न्वि | ताः |