Summary
Who emaciate unintelligently the conglamoration of elements in their physic and emaciate Me too, dwelling within the physic-know them to be of a demoniac resolve.
पदच्छेदः
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कर्शयन्तः | कर्शयत् (√कर्शय् + शतृ, १.३) |
शरीरस्थं | शरीर–स्थ (२.१) |
भूतग्राममचेतसः | भूत–ग्राम (२.१)–अचेतस् (१.३) |
मां | मद् (२.१) |
चैवान्तःशरीरस्थं | च (अव्ययः)–एव (अव्ययः)–अन्तर् (अव्ययः)–शरीर–स्थ (२.१) |
तान्विद्ध्यासुरनिश्चयान् | तद् (२.३)–विद्धि (√विद् लोट् म.पु. )–आसुर–निश्चय (२.३) |
छन्दः
अनुष्टुप् [८]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ |
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क | र्श | य | न्तः | श | री | र | स्थं |
भू | त | ग्रा | म | म | चे | त | सः |
मां | चै | वा | न्तः | श | री | र | स्थं |
ता | न्वि | द्ध्या | सु | र | नि | श्च | यान् |