Summary
The three-fold fruit of action, viz., the undesired, the desired and the mixed, accrues [even] after death ot those who are not men of relinishment, but never to those who are men of renunciation.
पदच्छेदः
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अनिष्टमिष्टं | अनिष्ट (१.१)–इष्ट (√इष् + क्त, १.१) |
मिश्रं | मिश्र (१.१) |
च | च (अव्ययः) |
त्रिविधं | त्रिविध (१.१) |
कर्मणः | कर्मन् (६.१) |
फलम् | फल (१.१) |
भवत्यत्यागिनां | भवति (√भू लट् प्र.पु. एक.)–अत्यागिन् (६.३) |
प्रेत्य | प्रेत्य (√प्र-इ + ल्यप्) |
न | न (अव्ययः) |
तु | तु (अव्ययः) |
संन्यासिनां | संन्यासिन् (६.३) |
क्वचित् | क्वचिद् (अव्ययः) |
छन्दः
अनुष्टुप् [८]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ |
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अ | नि | ष्ट | मि | ष्टं | मि | श्रं | च |
त्रि | वि | धं | क | र्म | णः | फ | लम् |
भ | व | त्य | त्या | गि | नां | प्रे | त्य |
न | तु | सं | न्या | सि | नां | क्व | चित् |