Summary
O best of Bharata's descendants ! Listen to My considered view about relinishing : Indeed the act of relinishing is rightly spoken to be three-fold, O best among men !
पदच्छेदः
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निश्चयं | निश्चय (२.१) |
शृणु | शृणु (√श्रु लोट् म.पु. ) |
मे | मद् (६.१) |
तत्र | तत्र (अव्ययः) |
त्यागे | त्याग (७.१) |
भरतसत्तम | भरत–सत्तम (८.१) |
त्यागो | त्याग (१.१) |
हि | हि (अव्ययः) |
पुरुषव्याघ्र | पुरुष–व्याघ्र (८.१) |
त्रिविधः | त्रिविध (१.१) |
संप्रकीर्तितः | संप्रकीर्तित (√संप्र-कीर्तय् + क्त, १.१) |
छन्दः
अनुष्टुप् [८]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ |
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नि | श्च | यं | शृ | णु | मे | त | त्र |
त्या | गे | भ | र | त | स | त्त | म |
त्या | गो | हि | पु | रु | ष | व्या | घ्र |
त्रि | वि | धः | सं | प्र | की | र्ति | तः |