Summary
The duties of the Brahmanas, the Ksatriyas, the Vaisyas, and of the Sudras are properly classified according to the Strands which are the sources of their nature, O scorcher of foes !
पदच्छेदः
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ब्राह्मणक्षत्रियविशां | ब्राह्मण–क्षत्रिय–विश् (६.३) |
शूद्राणां | शूद्र (६.३) |
च | च (अव्ययः) |
परंतप | परंतप (८.१) |
कर्माणि | कर्मन् (१.३) |
प्रविभक्तानि | प्रविभक्त (√प्रवि-भज् + क्त, १.३) |
स्वभावप्रभवैर्गुणैः | स्वभाव–प्रभव (३.३)–गुण (३.३) |
छन्दः
अनुष्टुप् [८]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ |
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ब्रा | ह्म | ण | क्ष | त्रि | य | वि | शां |
शू | द्रा | णां | च | प | रं | त | प |
क | र्मा | णि | प्र | वि | भ | क्ता | नि |
स्व | भा | व | प्र | भ | वै | र्गु | णैः |