Summary
Heroic deed, fiery energy, firmness, dexterity, and also non-feeling form battle, giving gifts, overlordship, are the duties of the Ksatriyas, born of their nature.
पदच्छेदः
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शौर्यं | शौर्य (१.१) |
तेजो | तेजस् (१.१) |
धृतिर्दाक्ष्यं | धृति (१.१)–दाक्ष्य (१.१) |
युद्धे | युद्ध (७.१) |
चाप्यपलायनम् | च (अव्ययः)–अपि (अव्ययः)–अपलायन (१.१) |
दानमीश्वरभावश्च | दान (१.१)–ईश्वर–भाव (१.१)–च (अव्ययः) |
क्षत्रकर्म | क्षत्र–कर्मन् (१.१) |
स्वभावजम् | स्वभाव–ज (१.१) |
छन्दः
अनुष्टुप् [८]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ |
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शौ | र्यं | ते | जो | धृ | ति | र्दा | क्ष्यं |
यु | द्धे | चा | प्य | प | ला | य | नम् |
दा | न | मी | श्व | र | भा | व | श्च |
क्ष | त्र | क | र्म | स्व | भा | व | जम् |