Summary
Ploughing, cattle-tending and trading are the actions of the Vaisyas, born of their nature. The action, in the form of service, is of the Sudras, born of their nature.
पदच्छेदः
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कृषिगोरक्ष्यवाणिज्यं | कृषि–गोरक्ष्य–वाणिज्य (१.१) |
वैश्यकर्म | वैश्य–कर्मन् (१.१) |
स्वभावजम् | स्वभाव–ज (१.१) |
परिचर्यात्मकं | परिचर्या–आत्मक (१.१) |
कर्म | कर्मन् (१.१) |
शूद्रस्यापि | शूद्र (६.१)–अपि (अव्ययः) |
स्वभावजम् | स्वभाव–ज (१.१) |
छन्दः
अनुष्टुप् [८]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ |
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कृ | षि | गो | र | क्ष्य | वा | णि | ज्यं |
वै | श्य | क | र्म | स्व | भा | व | जम् |
प | रि | च | र्या | त्म | कं | क | र्म |
शू | द्र | स्या | पि | स्व | भा | व | जम् |