Summary
To Him alone you must go for refuge with all your thought, O descendant of Bharata ! Through My Grace you will attain the success, the eternal abode.
पदच्छेदः
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तमेव | तद् (२.१)–एव (अव्ययः) |
शरणं | शरण (२.१) |
गच्छ | गच्छ (√गम् लोट् म.पु. ) |
सर्वभावेन | सर्व–भाव (३.१) |
भारत | भारत (८.१) |
तत्प्रसादात्परां | तद्–प्रसाद (५.१)–पर (२.१) |
शान्तिं | शान्ति (२.१) |
स्थानं | स्थान (२.१) |
प्राप्स्यसि | प्राप्स्यसि (√प्र-आप् लृट् म.पु. ) |
शाश्वतम् | शाश्वत (२.१) |
छन्दः
अनुष्टुप् [८]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ |
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त | मे | व | श | र | णं | ग | च्छ |
स | र्व | भा | वे | न | भा | र | त |
त | त्प्र | सा | दा | त्प | रां | शा | न्तिं |
स्था | नं | प्रा | प्स्य | सि | शा | श्व | तम् |