Summary
O great king ! On recalling in the mind that extremely wonderful supreme form of Hari, I am amazed and I feel joyous again and again.
पदच्छेदः
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राजन्संस्मृत्य | राजन् (८.१)–संस्मृत्य (√सम्-स्मृ + ल्यप्) |
संस्मृत्य | संस्मृत्य (√सम्-स्मृ + ल्यप्) |
संवादमिममद्भुतम् | संवाद (२.१)–इदम् (२.१)–अद्भुत (२.१) |
विस्मयो | विस्मय (१.१) |
मे | मद् (६.१) |
महान्राजन् | महत् (१.१)–राजन् (८.१) |
हृष्यामि | हृष्यामि (√हृष् लट् उ.पु. ) |
च | च (अव्ययः) |
पुनः | पुनर् (अव्ययः) |
पुनः | पुनर् (अव्ययः) |
छन्दः
अनुष्टुप् [८]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ |
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त | च्च | सं | स्मृ | त्य | सं | स्मृ | त्य |
रू | प | म | त्य | द्भु | तं | ह | रेः |
वि | स्म | यो | मे | म | हा | न्रा | ज |
न्हृ | ष्या | मि | च | पु | नः | पु | नः |